NPCI का ऐलान: 1 अगस्त से UPI ऐप्स पर लगेंगी ये नई पाबंदियाँ!

भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है। हर दिन लाखों-करोड़ों लेन-देन UPI के माध्यम से किए जाते हैं, जिससे भारत का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम मजबूत हुआ है। हालांकि, UPI नेटवर्क पर लगातार बढ़ते दबाव को देखते हुए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों के तहत UPI ऐप्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 10 सबसे आम APIs के उपयोग को सीमित किया जाएगा। यह बदलाव 1 अगस्त, 2025 से लागू होगा।

इस लेख में हम NPCI के इन नए नियमों, उनके पीछे के कारणों और आम उपयोगकर्ताओं तथा बैंकों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

NPCI द्वारा UPI API उपयोग पर प्रतिबंध: मुख्य बिंदु

NPCI ने अपने सर्कुलर में बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSPs) को निर्देश दिए हैं कि वे 10 सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले UPI APIs के उपयोग को नियंत्रित करें। इनमें शामिल हैं:

  1. बैलेंस इंक्वायरी (Balance Inquiry)
  2. ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक (Transaction Status Check)
  3. ऑटोपे मैंडेट पूर्ति (Autopay Mandate Fulfilment)
  4. लिस्ट अकाउंट रिक्वेस्ट (List Account Request)

NPCI के अनुसार, इन APIs के अत्यधिक उपयोग से UPI नेटवर्क पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण सिस्टम में रुकावटें आती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित सीमाएं लागू की जाएंगी:

1. बैलेंस इंक्वायरी पर सीमा

  • प्रति उपयोगकर्ता, प्रति ऐप, प्रतिदिन अधिकतम 50 बार बैलेंस चेक किया जा सकेगा।
  • बैंकों को हर लेन-देन के बाद स्वचालित रूप से अकाउंट बैलेंस नोटिफिकेशन भेजना होगा, ताकि उपयोगकर्ताओं को मैन्युअल बैलेंस चेक करने की आवश्यकता न पड़े।

2. पीक आवर्स में API उपयोग पर प्रतिबंध

  • पीक ट्रैफिक घंटे (Peak Traffic Hours): सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक।
  • इन घंटों के दौरान नॉन-कस्टमर पेमेंट रिक्वेस्ट्स (जैसे मर्चेंट पेमेंट्स) को कतारबद्ध (queue), रेट-लिमिट (rate-limit) और प्रतिबंधित (restrict) किया जाएगा।

3. ऑटोपे मैंडेट नियम

  • ऑटोपे मैंडेट को नॉन-पीक आवर्स में प्रोसेस किया जाएगा।
  • प्रति सेकंड ट्रांजैक्शन (TPS) की दर को नियंत्रित किया जाएगा।
  • प्रत्येक ऑटोपे मैंडेट के लिए एक प्रयास और अधिकतम तीन रिट्रायल की अनुमति होगी।

4. लिस्ट अकाउंट रिक्वेस्ट सीमा

  • यह रिक्वेस्ट उपयोगकर्ता के मोबाइल नंबर से जुड़े सभी खातों को दिखाती है।
  • प्रति ऐप, 24 घंटे में अधिकतम 25 बार ही इसका उपयोग किया जा सकेगा।
  • यह रिक्वेस्ट केवल तभी की जा सकेगी जब उपयोगकर्ता UPI ऐप में इश्यूअर बैंक (issuer bank) का चयन करेगा।

नए नियमों का उद्देश्य

NPCI के इन नए दिशा-निर्देशों के पीछे मुख्य उद्देश्य UPI नेटवर्क की दक्षता बढ़ाना और सिस्टम को अधिक स्थिर बनाना है। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1. UPI नेटवर्क पर बढ़ता दबाव

  • UPI पर दैनिक लेन-देन की संख्या लगातार बढ़ रही है।
  • बार-बार API कॉल (जैसे बैलेंस चेक) से सर्वर पर अतिरिक्त लोड पड़ता है, जिससे सिस्टम धीमा हो सकता है या क्रैश हो सकता है।

2. सिस्टम आउटेज को रोकना

  • पिछले कुछ समय में UPI नेटवर्क में कई बार डाउनटाइम की समस्या देखी गई है।
  • API कॉल्स को सीमित करके सर्वर पर अनावश्यक लोड कम किया जा सकेगा।

3. उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करना

  • बैलेंस नोटिफिकेशन और पीक आवर्स में ट्रांजैक्शन प्रबंधन से यूजर्स को सुचारू सेवा मिलेगी।

नए नियमों का प्रभाव

1. उपयोगकर्ताओं पर प्रभाव

  • सकारात्मक:
  • UPI सिस्टम अधिक स्थिर होगा, जिससे लेन-देन में कम रुकावट आएगी।
  • ऑटोमेटिक बैलेंस नोटिफिकेशन से बार-बार बैलेंस चेक करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • नकारात्मक:
  • जो उपयोगकर्ता बार-बार बैलेंस चेक करते हैं, उन्हें प्रतिदिन 50 बार की सीमा का ध्यान रखना होगा।
  • पीक आवर्स में कुछ ट्रांजैक्शन में देरी हो सकती है।

2. बैंकों और PSPs पर प्रभाव

  • बैंकों को अपने सिस्टम को नए नियमों के अनुसार अपडेट करना होगा।
  • 31 अगस्त, 2025 तक PSPs को NPCI को एक औपचारिक अनुशासन पत्र (undertaking) जमा करना होगा, जिसमें वे इन नियमों का पालन करने की पुष्टि करेंगे।
  • अनुपालन न करने पर दंड:
  • API एक्सेस पर प्रतिबंध
  • आर्थिक जुर्माना
  • नए ग्राहकों को जोड़ने पर रोक

निष्कर्ष

NPCI का यह कदम UPI नेटवर्क को अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, कुछ प्रतिबंध उपयोगकर्ताओं और बैंकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन लंबे समय में यह डिजिटल भुगतान प्रणाली को मजबूती प्रदान करेगा।

उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने UPI ऐप्स को नवीनतम वर्जन पर अपडेट रखें और नए नियमों के अनुसार अपनी आदतों को समायोजित करें। बैंकों और PSPs को भी समय रहते अपने सिस्टम में बदलाव करने होंगे, ताकि UPI का सुचारू संचालन जारी रह सके।

इस तरह, NPCI का यह निर्णय भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने में मदद करेगा।

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